Friday 24 March 2017

कुछ दिन तो गुजारो गुजरात माडल में - जग मोहन ठाकन

व्यंग्य लेख
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जग मोहन ठाकन
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कुछ  दिन तो गुजारो ;  गुजरात ( माडल ) में
कांग्रेस की तरह हर बार परीक्षा में फ़ेल होकर मुँह लटकाकर घर में चोरी छुप्पे घुसने वाला मेरा होनहार इस बार की अर्धवार्षिक परीक्षा में  पाँच विषयों में से केवल एक में ही उतीर्ण होकर जब घर आया तो उसके चेहरे पर उदासी नहीं बल्कि  आक्रोश था । एक पेपर में तो उसके कई साल से न जाने क्यों अंक  10 % से ऊपर नहीं चढ़ पा  रहे हैं ? एक अन्य पेपर , जिसमे वह पिछली परीक्षा में पास था, उसमे भी अबकी बार वह धराशाही हो गया । मुझे इस परीक्षा प्रणाली पर भी संदेह होने लगा है । मेरा होनहार दो विषयों में कक्षा मे सबसे अधिक नंबर  लेने के बावजूद परीक्षकों द्वारा फ़ेल घोषित कर दिया गया। और अजीब बात यह कि कक्षा के मेरे होनहार से कम नंबरों वाले दो दो तीन तीन छात्रों के अंकों को मिलाकर उन्हें सामूहिक रूप से उतीर्ण घोषित कर इनाम भी दे दिया गया । खैर इतना सब कुछ होने के बाद आक्रोशित होना उसका हक है । परंतु जब उसने आते ही  मुझसे 1900 रुपये एक पेन खरीदने के लिए मांगे, तो मैं हैरान रह गया । मैंने आंखे तरेरी और पूछा – क्या बात करते हो ? पेन और 1900 रुपये ? अर्रे , पेन तो पाँच –दस में ही आ जाता है ?
होनहार बोला – पापा आपका नेट काम नहीं करता क्या ?
अब उसे क्या बताऊँ कि हमारी सोच  के नेट तो उसी दिन से काम करना छोड़ गए थे , जिस दिन विद्या बालन ने कहना शुरू किया था –जहां सोच -वहाँ शौचालय
होनहार ने एक इश्तिहार मेरे सामने रख दिया जो उसने कहीं नेट की किसी साइट से डाउनलोड  किया था।  गुजराती  भाषा में छपे इस पर्चे में एक गुजराती मंदिर ने दावा किया बताया  है कि मंदिर द्वारा 1900 रुपये की कीमत पर बेची जा रही एक विशेष कलम (पेन) द्वारा दी गई परीक्षा में विद्यार्थी कभी फ़ेल नहीं होता । मंदिर ने तो यहाँ तक दावा किया है कि यदि इस कलम का प्रयोग करने के बावजूद भी परीक्षार्थी पास नहीं होता है, तो पैसे वापस कर दिये जाएंगे ।
 मेरे दिमाग के ढीले पड़ चुके नेट कुछ थरथराने लगे । गत वर्ष हरियाणा से राज्यसभा चुनाव में  भी एक विशेष प्रकार की पेन का इस्तेमाल किया गया था। अब मुझे कुछ कुछ यकीन होने लगा है कि वो गुजराती करामाती कलम ही रही होगी , जिसके सहारे कम वोटों के आसरे भी चुनाव लड़ने वाले बहुमत पा सके और चुनाव जीत कर धन्य हो गए । धन्य है गुजराती कलम , धन्य है गुजराती माडल । मित्रों , अब तो अमिताभ बच्चन का कहा मानकर कुछ दिन तो गुजारो गुजरात (माडल) में । हाँ , पर चीख चीख कर यू पी चुनाव में ई वी एम मशीन  पर सवाल उठाने वाली मायावती जी की बात भी सुन लो, कहीं वहाँ भी गुजराती माडल का प्रयोग तो नहीं किया गया है । क्योकि गुजराती माडल देता है परीक्षा में 100 %  सफलता की गारंटी ।
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Thursday 2 March 2017

गाजर मूली के साथ धनिया मिर्ची फ्री - जग मोहन ठाकन

व्यंग्य -  जग मोहन ठाकन

गाजर मूली के साथ धनिया मिर्ची फ्री
गली में कई दिनों बाद नत्थू सब्जी वाले की आवाज़ सुनाई दी । देखा तो सामने नत्थू ही अपनी गधा-रेहड़ी पर सब्जी लादे आवाज़ लगा रहा है । मैंने पूछा – अरे नत्थू ! सब कुशल तो है ? कहीं चले गए थे क्या ?
नहीं साहब , हम कहाँ जा सकते हैं । बस अपने इस गधे को अपने एक रिश्तेदार के वहाँ यूपी में भेज दिया था । यहाँ तो कोई खास धंधा था नहीं , यू पी में गधों की कुछ ज्यादा ही डिमांड बढ़ गई थी । वैसे भी  वहाँ श्मशान घाट और कब्रिस्तान दोनों का काम ज़ोरों पर चल रहा था ,  सो इसे वहीं अपने एक रिश्तेदार के पास भेज दिया था । साहब ,जहां दो आने बचें, वहीं तो काम करना चाहिये ।
           मैंने यों ही पूछ लिया -  यू पी में कुछ ज्यादा ही काम की मारा मारी रही होगी , बेचारा गधा भी काफी कमजोर और थका थका सा लग रहा है । लगता है तेरे इस गधे को यू पी की हवा रास नहीं आई ।
अरे साहब , कुछ दिन यहाँ की आबो हवा में रहेगा , फिर ठीक हो जाएगा - नत्थू बोला ।
मैंने सलाह दी – अरे नत्थू , तू  गुजरात से कोई मोटा ताज़ा गधा क्यों नहीं ले आता ?  दिखने में भी सुंदर व स्मार्ट लगेगा और काम भी ज्यादा करेगा ।
अरे साहब , भगवान बचाए गुजरात के गधों से तो । हाथी के दाँत खाने के और  दिखाने के और । साहब गुजराती गधे ग्राहक मार होते हैं । दिखने में तो बड़े स्मार्ट और खड़े कान वाले दिखते हैं , पर काम के मामले में , बस पूरे काम चोर । फली तक नहीं फोड़ते ।  हाँ , ढिंचू ढिंचू करने, लंगड़ी मारने और उछल कूदकर कान उठाकर चलने में तो एकदम माहिर होते हैं गुजराती गधे  । नत्थू ने अपनी विशेषज्ञता दर्शाई ।
खैर छोड़ नत्थू गधों की बात, ताज़ा सब्जी कौन कौन सी है आज तेरे पास ? मैंने बात का रुख बदला ।
साहब , गाजर है , मूली है , आलू है , टमाटर है , गोभी है ,हरी मिर्ची है , हरा धनिया है , सारी हैं साहब । कुछ भी ले लो ।
पर मिर्ची और हरा धनिया तो गाजर मूली के साथ फ्री में ही देते होगे ? मैंने मोलभाव का रवैया अपनाया ।
अरे साहब , फ्री काहे  की , हर सब्जी की अपनी अपनी कीमत है । मिर्ची और धनिया के तो अब सबसे ज्यादा अच्छे दिन आए हुए हैं ,ये तो सभी दूसरी सब्जियों से ज्यादा महंगी हैं ।
नहीं भाई नत्थू ,यह नहीं हो सकता । हमारे देश के प्रधान मंत्री स्वयं कह रहे हैं कि अन्य सब्जियों के साथ हरी मिर्ची तथा हरा धनिया तो गिफ्ट के तौर पर फ्री में ही मिलता है । अभी अभी  तो यू पी  के चुनाव में बोला है । उन्होने एक चुनाव सभा में कहा है कि पाँच चरण के चुनाव में तो यू पी के मतदाताओं ने उन्हें खूब वोट दिये हैं और शेष दो चरणों में भी अपने वोट बोनस के रूप में सब्जी बेचने वाले की तरह ही धनिया और हरी मिर्ची की तरह फ्री में देंगे ।
मेरी बात सुनते ही नत्थू ने आँखेँ  तरेरी । बोला –तो  बाबूजी अब शेष दो चरणों की सब्जी धनिया व हरी मिर्ची की तरह फ्री में मांगी जा रही है , क्या पहले वाले पाँच चरणों की सब्जी खरीद की गई है ?
मैं सोच नहीं पा रहा हूँ , क्या जवाब दूँ । क्या आपके पास है  नत्थू के इस सवाल का जवाब ?
     जग मोहन ठाकन
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