राजस्थान
बेटी के यौन उत्पीड़न विवाद में घिरे
मुख्य सचिव मीणा
जग मोहन ठाकन
राजस्थान के मुख्य सचिव ओ पी मीणा अपने ही परिवार के उत्पीड़न के विवादों
में घिर गए हैं । जहां मीणा पर अपनी ही पत्नी ,जो राजस्थान प्रशासनिक सेवा की एक सीनियर अधिकारी
हैं , का उत्पीड़न एवं घरेलू हिंसा का आरोप लगा है वहीं अपनी पुत्री का यौन उत्पीड़न
का एक संगीन एवं शर्म नाक आरोप भी सामने आया है । मीणा की पत्नी गीता सिंह देव
ने दस सितंबर ,2016 को मीडिया के सामने मीणा पर अपनी ही पुत्री के साथ सेक्सुयल हर्रस्मेंट का यह
गंभीर आरोप लगाकर राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी
में खलबली मचा दी है । गीतासिंह देव ने लंदन में रहकर पढ़ाई कर रही 31 वर्षीय अपनी
पुत्री गीतांजलि द्वारा अप्रैल 2016 में भेजे गए एक ई मेल को आधार बनाकर यह आरोप लगाया है ।
संदर्भित कथित मेल के अनुसार गीतांजलि ने
आरोप लगाया कि –“ मेरे पिता ने मुझे सदा ही बोझ समझा है ।
जब मैं तेरह वर्ष की थी तो उन्होने मेरा यौन उत्पीड़न करना प्रारम्भ किया था । यह सिलसिला करीब दो वर्ष तक चलता रहा । जब मेरी
माँ ने मेरे पिता को पुलिस में शिकायत करने की धमकी दी तब जाकर यह उत्पीड़न बंद हुआ । ”
गीतासिंह देव ने गत वर्ष सितंबर में महिला पुलिस में एक एफ आई आर दर्ज कराई थी जिसमे
देव ने अपने साथ उत्पीड़न का आरोप लगाया था । उल्लेखनीय है कि मीना
दंपति का 1982 में विवाह हुआ था तथा 1984
में पुत्री गीतांजलि का जन्म हुआ । गीता सिंह देव का आरोप है कि मीणा पुत्र चाहते थे और इसीलिए वह उन्हे बार
बार तंग करने लगे । यहाँ यह प्रश्न उठता है कि राज्य में लिंग असंतुलन के बदतर हालातों तथा माननीय प्रधान मंत्री मोदी
के बेटी बचाओ –बेटी पढ़ाओ अभियान की डोर क्या ऐसे व्यक्ति के हाथ में दी जानी उचित
है जो स्वयं अपनी ही बेटी व पत्नी का उत्पीड़न का आरोपी हो ?
अब मीणा दंपति की पुत्री 31 वर्ष की हो चुकी है ।
जब पुत्री का यौन उत्पीड़न आज से 18 वर्ष पूर्व हुआ था तो क्यों नहीं मीणा की पत्नी
ने उस समय इस मामले को उठाया ? इस पर मीणा की पत्नी गीतासिंह देव का कहना है
कि वह परिवार की इज्जत की खातिर इसे बाहर नहीं लाना चाहती थी । गीता सिंह के मुताबिक उसने अपने साथ हुई घरेलू हिंसा
का मामला राजस्थान महिला आयोग के समक्ष भी
उठाया था ,जिस पर आयोग ने 24 नवम्बर ,2014 को फैसला सुनाते हुए ओ पी मीणा को अपनी
पत्नी के साथ अनुचित व्यवहार न करने तथा बेटी गीतांजलि को लंदन में रहने का खर्च
वहन करने का आदेश पारित किया था ,परंतु मीणा ने इसकी अनुपालना नहीं की । गीता सिंह का कहना है कि क्योंकि
अब उनके पति ओ पी मीणा राजस्थान के मुख्य सचिव बना दिये गए हैं , इसलिए अब उसे राज्य के पुलिस
अधिकारियों से इंसाफ की कोई उम्मीद नहीं रही है ,अतः वह सारे प्रकरण की जांच सी बी आई से कराना
चाहती हैं । राजस्थान हाई कोर्ट ने भी मुख्य
सचिव ओ पी मीणा के खिलाफ प्रताड़णा एवं घरेलू हिंसा केस में राज्य सरकार से पूछा है
कि क्यों नहीं मामले की जांच सी बी आई को दे दी जाए ?कोर्ट
ने राज्य के अड़िश्नल एडवोकट जनरल को इस संबंध में निर्देश देते हुए अक्तूबर माह में होने वाली
अगली सुनवाई तिथि तक जबाब देने को आदेशित किया है । कोर्ट ने यह अन्तरिम आदेश 21 सितंबर 2016 को गीतासिंह देव की एक याचिका पर
दिये हैं । याचिका में देव ने कहा था कि उन्होने सितंबर 2015 में अपने पति एवं
वर्तमान में राज्य के मुख्य सचिव ओ पी मीणा के विरुद्ध प्रताड़णा एवं घरेलू हिंसा
का केस दर्ज कराया था , परंतु राज्य
पुलिस उचित कारवाई नहीं कर रही है । इसलिए मामले की निष्पक्ष जांच सी बी आई से कराई जाए । कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए ए ए जी की
मार्फत राज्य सरकार से अगली सुनवाई तिथि पर मामले को
सी बी आई में भेजने बारे स्पष्टीकरण मांगा है । इधर ओ पी मीणा ने आरोपों को गलत बताया है ।
दोनों ही परिवार हैं दमखम पृष्ठभूमि से
ओ पी मीणा तथा उनकी पत्नी गीता सिंह देव दोनों
ही दमखम वाले परिवारों से संबंध रखते हैं । ओ पी मीणा खुद 1979 के बैच के आइ ए एस
अधिकारी हैं तथा अनुसूचित जनजाति संवर्ग से मुख्य सचिव बनने वाले पहले अधिकारी हैं
। मीणा के एक भाई हरीश मीणा वर्तमान में भाजपा के राजस्थान से सांसद हैं तथा वे
प्रदेश के पुलिस महानिदेशक भी रह चुके हैं । एक अन्य भाई नमोनारायण मीणा यूपीए सरकार में केन्द्रीय मंत्री तथा दो बार सांसद रह चुके हैं ।
मीणा की पत्नी गीता सिंह देव भी राजस्थान प्रशासनिक
सेवा की वरिष्ठ अधिकारी है तथा उनके पिता राजस्थान में मीणा समाज के प्रथम आइ
ए एस
अधिकारी थे । देव की बहन तथा बहनोई भी दोनों ही आइ ए एस अधिकारी हैं । गीता
सिंह के दो भाई भी वरिष्ठ अधिकारी हैं ।
क्या कहती हैं महिला आयोग की अध्यक्ष ?
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष सुमन शर्मा का कहना है कि ओ पी मीणा और गीता सिंह देव का मामला महिला आयोग में पहले
भी चल चुका है । अब गीता सिंह देव ने बेटी से यौन उत्पीड़न का नया आरोप लगाया है ।
पुरानी फ़ाइल चेक कि जाएंगी । अगर नए आरोप पाये गए तो आयोग मामले को टेक अप करेगा ।
हालांकि आयोग की अध्यक्षा स्वयं भी स्वीकार करती हैं कि कोई महिला जब रिपोर्ट
लिखाने थाने जाती है तो साधारण सी धारा 151 में रिपोर्ट दर्ज कर ली जाती है और फिर
उसे कभी न्याय नहीं मिल पाता । इसीलिए आयोग अध्यक्ष का पद संभालते ही मैंने तय
किया कि आयोग स्वयं चलकर गाँव गाँव जाएगा और बच्चियों तथा महिलाओं को कानूनी जानकारी
उपलब्ध कराई जाएगी । महिला अपने आप में महान शक्ति है , संविधान में
महिला को अनेक अधिकार मिले हुए हैं , परंतु जानकारी के
अभाव में उसे जीवन में कई बार उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है । महिला जब पूरी
जानकारी के साथ थाने जाएगी तो उन्हें कोई भ्रमित नहीं कर पाएगा ।
कहाँ विलुप्त हो गई समाज की मर्यादाएं ?
क्या हमारे समाज की मर्यादाएं , वर्जनाये विलुप्त हो गई हैं ? क्यों बेअसर हो
गई हैं हमारी संस्कृति की पहचान ? अगर इन आरोपों
में लेश मात्र भी सच्चाई है तो क्या पिता पुत्री का रिश्ता तार तार नहीं होता जा
रहा है ? क्या शिक्षा हमे मानव की बजाय दानव बना रही है ?क्या अपनी ही पुत्री के संग अश्लील व्यवहार व आचरण करने वाले , अपनी ही पत्नी को प्रताड़ित करने वाले तथा शिक्षित होने का दावा कर पुत्र
पुत्री में आज के समय में भी भेदभाव रखने वाले को एक प्रांत का मुख्य सचिव बनाना
उचित है ? कहीं दाग अच्छे हैं की संस्कृति हमारी
संस्कृति पर हावी तो नहीं हो रही है ? एक अबोध बालिका
के साथ इस प्रकार का आचरण और वो भी खुद के पिता द्वारा समाज को किस गर्त की तरफ ले
जाएगा , इसकी कल्पना मात्र से मानवता कराह उठती है । जब एक महिला और वो भी एक उच्च
अधिकारी देश के प्रधान मंत्री से गुहार लगाती है , राष्ट्रिय महिला आयोग में अपना रुदन विलापती है , तो क्यों और कहाँ दब कर रह जाती है यह करुणा की पुकार ? जिस प्रदेश की मुख्यमंत्री खुद एक महिला हो वहाँ उसी के प्रशासन को संभालने
वाला मुख्य सचिव इस प्रकार के आचरण का आरोपी हो तो क्या संदेश जाएगा आम जन में ? कैसे और किस पर भरोसा कर पाएगी प्रदेश की नारी ? जब एक पढ़ी लिखी एवं उच्च अधिकारी
महिला के साथ इस प्रकार के उत्पीड़न की
घटनाएँ सामने आ रही हैं तो कैसे एक अनपढ़ एवं कमजोर तबके की महिला अपना बचाव कर पाएगी ? सरकार को तुरंत सी बी आई की जांच करवाकर दूध का दूध और पानी का पानी अलग साफ दिखा देना चाहिय ताकि आम
जन में सरकार के प्रति विश्वास पैदा हो ।
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